वास्तु के बिना अधूरा है फैक्ट्री निर्माण (Factory Construction is Incomplete with Vastu ) -
निर्माण से संबंधित किसी भी प्रयोजन के लिए वास्तुरचना (वास्तुकला) का महत्व अधिक होता है, फिर चाहे वह आवासीय वास्तु हो या फिर व्यावसायिक वास्तु।
यह बात तो बिल्कुल सच है, कि यदि आप किसी भी निर्माण में वास्तु का प्रयोग नहीं करते या वास्तु के सिद्धांतों पर अमल नहीं करते तो वह बिल्डिंग आपकी इच्छा अनुरूप आपको परिणाम नहीं देगी।
क्योंकि जब फैक्ट्री में वास्तु के सिद्धांतों का पालन किया जाता है, तो उस फैक्ट्री के भूखंड में वास्तु शास्त्र के अनुसार आय, व्यय, नक्षत्र, राशि, अंशक तारा आदि का मेल करके फैक्ट्री का संपूर्ण क्षेत्रफल तय किया जाता है।
व्यापारिक बिल्डिंग जैसे फैक्ट्री कारखाना या कोई इंडस्ट्री के बारे में वास्तु शास्त्र के सिद्धांत कहते हैं, कि किसी फैक्ट्री की जमीन का आकार, फैक्ट्री की जमीन का ढाल, जिस पर फैक्ट्री का निर्माण होना है उसका वास्तु सम्मत होना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि यदि ऐसा नहीं हुआ तो यह छोटी-छोटी चीजें बहुत बड़ी परेशानियां पैदा कर देती हैं। वास्तु के अनुसार फैक्ट्री के निर्माण से पूर्व क्या-क्या बातें ध्यान में रखना चाहिए निम्नलिखित बिंदुओं पर बताया गया।
- फैक्ट्री के प्लाट का आकार सही होना चाहिए। फैक्ट्री एरिया को चौकोर करें या उसका आकार ठीक करें।
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फैक्ट्री के भूखंड में ब्रह्म स्थान का निर्धारण करना चाहिए ।
- फैक्ट्री के प्लाट के कोने कटे या बढ़े नहीं होने चाहिए केवल उत्तर पूर्व को छोड़कर।
- फैक्ट्री के निर्माण का मटेरियल ब्रह्मस्थान में रखना चाहिए।
- फैक्ट्री के मुख्य द्वारों का निर्माण वास्तु के अनुसार उचित पदों पर ही होना चाहिए।
- फैक्ट्री का ढाल उत्तर व पूर्व में अधिक तथा दक्षिण पूर्व में ऊँचा होना चाहिए ।
- फैक्ट्री का उत्तर व पूर्वी भाग दक्षिण व पश्चिमी भाग से अधिक खुला होना चाहिए।
- फैक्ट्री में ज्यादातर निर्माण दक्षिण व पश्चिम में कराना चाहिए ।
- फैक्ट्री में यदि गड्ढे वाली मशीनें लगानी है तो उन्हें उत्तर में लगाना चाहिए और यदि उत्तर में संभव न हो तो उस मशीन को दक्षिण पश्चिम में लगाकर उससे ज्यादा गड्ढा उत्तर या पूर्व में कर देना चाहिए जिससे कि वस्तु का बैलेंस अर्थात वास्तु संतुलन बना रहे। परंतु यदि इस कंडीशन में भी संभव न हो तो पूर्व (East) या पश्चिम (West) में भी लगा सकते हैं।
- दक्षिण या पश्चिम में बने फैक्ट्री के टीन शेड उत्तर पूर्व के टीन सेट से ऊंचे होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं है तो फिर उसकी वास्तु रेमेडीज करना अनिवार्य है।
- फैक्ट्री में वर्षा के पानी का इंतजाम ऐसा करना चाहिए, जिससे कि पानी का निकास उत्तर की ओर हो।
- पंच तत्वों के अनुसार फैक्ट्री के उपकरणों का निरूपण करना चाहिए या फैक्ट्री में लगने वाले उपकरणों का इंस्टॉलेशन फाइव एलिमेंट (Five Element) के अनुसार करना चाहिए।
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उत्पादन (प्रोडक्सन) के लिए दक्षिण पश्चिम दिशा अच्छी मानी गई है। इसलिए माल बनाने वाली मशीन को साउथ वेस्ट में ही लगाना चाहिए ।
- इसी प्रकार अग्नि तत्व के संतुलन के लिए अग्नि कोण या (साउथ ईस्ट) दक्षिण पूर्व में नियंत्रण पैनल यानी (कंट्रोल पैनल) ट्रांसफार्मर, जनरेटर इत्यादि साउथवेस्ट में होने चाहिए । फैक्ट्री में बिजली के जो उपकरण हैं, और उनका संबंध विद्युत से है, तो उनको साउथ ईस्ट में ही रखें।
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इसके अतिरिक्त भी फैक्ट्री के लिए और भी वास्तु नियम है, जैसे स्टोन क्रेशर की अपनी अलग फैक्ट्री वास्तु है, तो इसको वास्तु में उत्तर पश्चिम दिशा निर्धारित की गई है, क्योंकि वह जमीन में बहुत ही कंपन पैदा करती है और चलाएं मान स्थिति में भी होती है ऐसे में वास्तु अनुसार उत्तर पश्चिम दिशा भी चलायमान है। वायु का काम बहना होता है ऐसे में इस प्रकार की मशीनों को उत्तर पश्चिम में स्थापित कर सकते हैं। ऐसा करने पर फैक्ट्री वास्तु के अनुसार वायु तत्व में संतुलन बना रहता है और आपके फैक्ट्री के कार्य को तेज गति मिलती है जिससे व्यापार में अधिक बढ़ोतरी देखने को मिलती है।
ऑफिस फैक्ट्री का एक जरूरी हिस्सा है तो ऐसे में फैक्ट्री का ऑफिस कहां पर होना चाहिए ? (Where Should be the Factory Located, as office is an Essential Part Of Factory )
ऑफिस की हमारी फैक्ट्री निर्माण की एक ऐसी जगह है जहां पर फैक्ट्री की सारी कागजी कार्यवाही या पेपर संबंधी कार्य जैसे केस का लेनदेन, लोगों का मिलना जुलना, प्रोडक्ट के संबंध में विभिन्न प्रकार की बातों का होना या उत्पादन संबंधी गतिविधियों पर चर्चा तथा कच्चे माल के लेनदेन पर भी विचार विमर्श किया जाता है।
फैक्ट्री के ऑफिस निर्माण के दौरान इस बात का विशेष स्मरण रखना चाहिए, कि फैक्ट्री का ऑफिस हमेशा दक्षिण या फिर दक्षिण पश्चिम या पश्चिम दिशा में बने। (During the office construction of the factory, it should be specially remembered that the office should always be in south or south-west or west direction)
- वास्तु के अनुसार दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम (South or South-West) पर ऑफिस का निर्माण करने से फैक्ट्री में लाभ, समृद्धि, धन का आवागमन (कैश फ्लो) ग्राहकों की अधिकता और कुशल व अकुशल मजदूरों का स्थायित्व बना रहता है । जिससे फैक्ट्री के कर्मचारी व मजदूर संगठन मन लगाकर काम करते हैं और एक बेहतर उत्पादन की ओर बढ़ते हैं।
- वास्तु के अनुसार दक्षिण दिशा में बना फैक्ट्री का ऑफिस आपको ब्रांड नेम देता है, आपको प्रसिद्ध देता है मालिक को अर्थात जो फैक्ट्री का मालिक है या फैक्ट्री में शेयर धारक है या फैक्ट्री से जुड़े बड़े पदों पर बैठे अधिकारी जन को मार्केट में आधिकारिक तौर पर सम्मान दिलाता है और उनके उत्पादों को मार्केट में विश्वसनीयता के तौर पर देखा जाता है।
- ऐसे में फैक्ट्री का माल कम रिजेक्ट होता है फैक्ट्री का माल अधिक सिलेक्ट होता है तथा फैक्ट्री के माल की डिमांड दिन प्रतिदिन मार्केट में बढ़ती रहती है।
- तकनीकी कर्मचारियों के लिए केबिन का निर्माण फैक्ट्री के दक्षिण पश्चिम में होना चाहिए इससे कर्मचारियों में अच्छे कौशल का विकास होता है तथा वह कर्मचारी फैक्ट्री में लंबे समय तक कार्यरत रहते हैं तथा कभी भी फैक्ट्री के कर्मचारी या उच्च पदों में बैठे फैक्ट्री के प्रशासनिक अधिकारी जैसे प्रोडक्शन मैनेजर या सीईओ के पद में बैठे अधिकारी मालिक के प्रति द्वेष या फिर किसी भी षड्यंत्र क्रिया में संलग्न नहीं होते, मालिक का पूरी तरह से सहयोग करते हैं और अपने काम के द्वारा फैक्ट्री को लाभ पहुंचाने की पूरी कोशिश के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। ऐसे में कर्मचारी फैक्ट्री के नफा व नुकसान के बारे में भी विचार करते हैं क्योंकि इसका सीधा संबंध फैक्ट्री से होने वाली इनकम से होता है ।
- फैक्ट्री के लेबर या अकुशल मजदूर में विशेष ऊर्जा होती है इन मजदूरों में अच्छा बल भी होता है इसलिए उनको और अधिक और ऊर्जान्वित करने के लिए इनके शेड़ो का निर्माण फैक्ट्री की साउथ ईस्ट (SE) डायरेक्शन में करना चाहिए फैक्ट्री की साउथ ईस्ट (SE) डायरेक्शन एनर्जी की डायरेक्शन होती है और यह दिशा इन मजदूरों को और अधिक ऊर्जा से भर देती है जिससे फैक्ट्री में कार्य करने वाले मजदूर ऊर्जा से लबरेज होकर फैक्ट्री में कार्य करते हैं और काम की गति को एक नए आयाम तक पहुंचाने की भरपूर प्रयास करते हैं ।
अलग-अलग उत्पादन करने वाली फैक्ट्रियों के लिए वास्तु नियम (Vastu Rules For Different Production Factory) -
वास्तु में अलग-अलग प्रकार की फैक्ट्रियों के वास्तु नियम भी अलग-अलग होते हैं जैसे किसी फैक्ट्री में लोहे से संबंधित या इस्पात से संबंधित चीजों का निर्माण होता है या फिर वह फैक्ट्री उद्योग मुख्य रूप से लोहा पर आधारित हैं तो ऐसे में वास्तु के अनुसार आपकी फैक्ट्री की जो मुख्य मशीन होगी उसको हमेशा दक्षिण और पूर्व के दक्षिण-पश्चिम (SW) कोने में ही लगाना चाहिए ऐसा करने से उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है और मशीनों के रख-रखाव में कम से कम लागत लगती है।
फैक्ट्री में कच्चा माल कहां पर रखना चाहिए? (Where Should be keep raw material in Factory)
फैक्ट्री परिसर के अंदर कच्चे माल एवं अन्य सामानों का प्लेसमेंट वास्तु अनुसार ही करना चाहिए । कच्चा माल फैक्ट्री में बनने वाले प्रोडक्ट का एक मुख्य भाग होता है। कच्चे माल को पश्चिम दिशा में बने शेड़ के नीचे रखना चाहिए और वास्तु के अनुसार यदि आपका कच्चा माल तरल या फिर लिक्विड फॉर्म में है तो इसके लिए दक्षिण-पश्चिम (SW) की दिशा सर्वोत्तम होती है ऐसे में आप तरल रूप में जो भी आपके कच्चे माल हैं उनको आप दक्षिण-पश्चिम (SW) में रख सकते हैं।
अब इसके बाद हम तैयार माल की बात करें तो फैक्ट्री का तैयार माल अर्थात फिनिश गुड किस दिशा में रखना चाहिए ? (Now after thus, if we take about finished goods, then where should the finished goods of the factory be kept)
तैयार माल के लिए वास्तु का मत है कि ऐसे माल को हमें उत्तर और पश्चिम दिशा में रखना चाहिए । ऐसा करने से आपका तैयार माल मार्केट में जल्दी से बिक जाता है और बिक्री रेट में उसको एक विशेष प्रकार की गति मिलती है। NW के बाद SE मेें रखना चाहिए। NE में रखा तैयार माल को बेचने में समस्या आती है ।
फैक्ट्री में पार्किंग स्पेस कहां पर होना चाहिए ? (Where Should be the parking space in Factory)
फैक्ट्री वास्तु या फिर व्यावसायिक वास्तु के अनुसार फैक्ट्री में पार्किंग की जगह भारी और हल्के वाहनों के लिए वास्तु अनुसार अलग-अलग हैं। फैक्ट्री में वास्तु लगाते समय पार्किंग के लिए यह विशेष ध्यान देना चाहिए, कि बड़े वाहनों को फैक्ट्री के बाहर पार्क करना चाहिए परंतु जब यह वाहन लोडिंग के लिए फैक्ट्री के अंदर आते हैं उस समय इन वाहनों की पार्किंग NW (उत्तर-पश्चिम) में होनी चाहिए और इसके अतिरिक्त जैसे कि छोटे वाहन बाइक, स्कूटर, साइकिल इनको आप फैक्ट्री की उत्तर पश्चिम दिशा में भी रख सकते हैं परंतु इस बात का ध्यान रहे कि उत्तर पूर्व दिशा का चयन कभी भी पार्किंग के लिए नहीं करना चाहिए।
फैक्ट्री में वास्तु लगाने का उद्देश्य व महत्व क्या होता है ? (What is the purpose and importance of applying vastu in the Factory )
उपरोक्त बिंदुओं के आधार पर हम इस निर्णय पर पहुंचे हैं कि कारखाना, फैक्ट्री, उद्योग, इंडस्ट्री, मॉल, होटल या फिर कोई भी व्यावसायिक प्रतिष्ठान का निर्माण वास्तु अनुसार होने पर व्यवसाय एक लंबी अवधि तक बिना रुके मालिक व शेयरधारकों को अच्छा लाभ देता है। फैक्ट्री मालिक को ना केवल लाभ देती है बल्कि अच्छा उत्पादन भी देती है, रोजगार देती है और मशीनरी में कम खराबी आती है। मशीनरी में कम खर्च होता है, मार्केट में अच्छी ब्रांडिंग होती है, मार्केट में विश्वसनीयता बढ़ती है और मार्केट में एक अच्छी गति के साथ आपके प्रोडक्ट की बिक्री होती है।
वास्तु विद् - रविद्र दाधीच (को-फाउंडर वास्तुआर्ट)