निर्माण से संबंधित किसी भी प्रयोजन के लिए वास्तुरचना (वास्तुकला) का महत्व अधिक होता है, फिर चाहे वह आवासीय वास्तु हो या फिर व्यावसायिक वास्तु।
वास्तु पुरुष की उत्पत्ति के सम्बन्ध में एक अत्यन्त मनोरंजक कथा है, जिससे ज्ञात होता है कि वास्तुशास्त्र के अनुसार गृह निर्माण एवं वास्तु पुरुष की पूजा विधि-विधान से करना क्यों आवश्यक है।
गुरुग्राम में वास्तुआर्ट का ऑफिस T-3/1202 Sec 83, Emaar Palm Garden Gurugram, Haryana 122004 में स्थित है।
भारतीय पंचांग के अनुसार 5.32 बजे से शाम 6.18 बजे तक दिखाई देगा। इस समय के दौरान चन्द्र ग्रहण पूर्ण रूप से प्रभावी स्थिति में रहेगा।
भारत के बिहार प्रान्त का सर्वाधिक प्रचलित एवं पावन पर्व है-सूर्यषष्ठी । 'सूर्यषष्ठी' प्रमुखरूप से भगवान् सूर्यका व्रत है। इस व्रत में सर्वतोभावेन भगवान् सूर्य की पूजा की जाती है
ज्योतिषीय गणना के अनुसार जो यह खण्डग्रास सूर्यग्रहण 25 अक्टूबर 2022, कार्तिक अमावस, स्वाति नक्षत्र, तुला राशि को दोपहर भारतीय समय 2 बजकर 28 मिनट से प्रारंभ होकर शाम 6 बजकर 32 मिनट तक चलेगा।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार धनतेरस पूजन का शुभ मुहूर्त 22 अक्टूबर को शाम 7:10 बजे से रात्रि 8:24 बजे तक रहेगा।
भारतीय हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष 2022 में दिवाली 24 अक्टूबर और 25 अक्टूबर दो तिथियों में पड़ रही है।
लोमश जी स्कंद पुराण की कथा को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं, कि जब महर्षि दधीचि की पत्नी आश्रम के अंदर चली जाती है।
वृंदावन के बहुत सारे प्राचीन भवन जैसे - नंदभवन, रास मंडल, मधुवन और रत्न मंडल इत्यादि वास्तु के अद्भूत नमूने है।
श्रीकृष्ण की नगरी वृंदावन का निर्माण देवताओं के वास्तुकार विश्वकर्मा जी के द्वारा किया गया था
हिन्दू धर्म के पवित्र ग्रंथ स्कंद पुराण में अगस्तजी ने बड़े ही विस्तार से भगवान शिव की आराधना से विश्वानर के पुत्र को अग्गिकोण कोण के अधिपति की नियुक्ति की कथा का वर्णन किया है।
स्कंद पुराण में वास्तु के इन देवताओं का वर्णन भगवान के दो पार्षदों ने शिवशर्मा जी को विस्तार पूर्वक सुनाया है
स्कंद पुराण में वास्तु की दक्षिण-पश्चिम दिशा के मध्य जो स्थान है, उसके देवता है, निर्ऋति तथा पश्चिम में जो स्थान है
नवरात्रि के पावन दिन चल रहे हैं, ऐसे में हर हिंदू घर में माता भगवती की घट स्थापना के साथ उनका पूजन-वंदन श्रद्धा के चल रहा है।
ज्ञानवापी तीर्थ की महिमा का उल्लेख स्कंद पुराण के काशीखण्ड-पूर्वार्ध में विस्तार से मिलता है।
पितर पक्ष में अमावास्या तिथि का महत्व स्कंदपुराण के नागरखण्ड-उत्तरार्ध में विस्तार से मिलता है।
हिन्दु सनातन संस्कृति में श्राद्ध पक्ष का बहुत अधिक महत्व होता है। श्राद्ध पक्ष को पितृ पक्ष के नाम से भी जाना जाता है।
चण्डीगढ़ एक ऐसा शहर है, जो दो राज्यों हरियाणा और पंजाब की राजधानी है। चण्डीगढ़ एक केंद्र शासित प्रदेश भी है।
आज विश्वकर्मा जयंती है और ज्योतिषशास्त्र में मान्यता है, कि कन्या संक्रांति पर विश्वकर्मा जयंती अर्थात इस दिन भगवान विश्वकर्मा जी का प्राकट्य दिवस होता है।
भारत के प्राचीन शहरों में से दिल्ली शहर भी एक है, जो अपनी सुंदरता और वास्तुकला के लिए हर किसी को अपनी ओर मोह लेता है।
घर में बने मंदिर में नित्य प्रतिदिन दर्शन करने और वहां पर बैठकर पूजा ध्यान करने से व्यक्ति की सोच सकारात्मक होती है।
वर्ष 2022 में ऋषि पंचमी तिथि का प्रारंभ 31 अगस्त 2022 को 3:22 अपराह्न से 1 सितम्बर 2022 को 2:49 अपराह्न तक है।
रक्षाबंधन का पर्व प्रेम-सौहार्द्र और भाई-बहन के स्नेह का पावन पर्व है। रक्षाबंधन के पर्व से भाई-बहन के रिश्तों में प्रागढ़ता आती है।
यह पूरा शरीर , दुनिया और संपूर्ण ब्रह्मण्ड केवल पांच तत्वों के मिश्रण से निर्मित है। हरेक वस्तु में यही पांच तत्व समाहित है। इन पांच तत्वों के संयोजन के बिना किसी की कल्पना नही की सकती है। क्योंकि यहीं पांच तत्व प्रकति है।
भक्तशिरोमणि पूज्यपाद गोस्वामी तुलसीदास जी के जन्म को लेकर हिन्दू धर्म ग्रंथों में वर्णन मिलता है।
सृष्टि के हर कण में ईश्वर विराजमान है। सब कुछ ईश्वर का ही निर्माण किया हुआ है।
इसके बाद भी ग्रंथों की धारणा है। कि यह शुभ है और यह अशुभ है। अशुभ दिशाओं की श्रेणी में एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात यह आती है। कि वह है दक्षिण दिशा।
घर के मुख्यद्वार को सुख-समृद्धि, परिवार की उन्नति और विकास का प्रतीक माना जाता है। शरीर की पांच इंद्रियों में से जो मुख का संज्ञा दी गई है वही भवन के मुख्य द्वार की होती है।
अब प्रश्न यहां उठता है। कि अधिकांश विद्वान व वास्तुशास्त्रियों ने दक्षिण दिशा को अशुभ क्यों माना है। ऐसे में यदि आपका मकान, भूखण्ड, ऑफिस, फैक्ट्री, कारखाना, स्कूल, कॉलेज, हास्पिटल इत्यादि दक्षिणमुखी है। तो शास्त्रों के मत के अनुसार हम उनको अशुभ नही मान सकते है। क्योंकि ऐसा ग्रंथों में कहीं पर भी उल्लेख नही है कि दक्षिण दिशा अशुभ होती है।
संपूर्ण ब्रह्मांड में चाहे वह तारे हो, ग्रह हों, मनुष्य हों या जीवन का कोई भी रूप, इन पांच तत्वों से ही बना है। इन पांच तत्व ही पंच महाभूत हैं। वास्तु शास्त्र के सभी ग्रंथों में वास्तु के सिद्धांतों का निर्धारण दिशाओं, विदिशाओं और पंचमहाभूतों (पंचतत्वों) को ध्यान में ऱखकर किया गया है।
वास्तुशास्त्र एवं ज्योतिष शास्त्र के समायोजन वनस्पति एवं पौधे रोपण में अच्छा रोल अदा करता है। ज्योतिष शास्त्र में कुल ग्रहों की संख्या 9 बताई गई है और नक्षत्रों की सत्ताईस है।
भारतीय संस्कृति में मंदिर और पूजा दोनों का विशेष महत्व है। मंदिर में श्रद्धा और निष्ठा के साथ ईश्वर से की गई प्रार्थना का फल हमेशा अच्छा ही प्राप्त होता है|