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फ्लैट वास्तु (Flat Vastu)
वास्तु के अनुरूप फ्लैट खरीदने के लिए महत्वपूर्ण टिप्स -

प्रत्येक मनुष्य की आधारभूत जरूरतें 'भोजन, कपड़ा और मकान है। हालांकि, संस्कृति के विकास की प्रक्रिया में, मनुष्य ने 'मकानों' को विकसित और बेहतर किया है। मकानों का विकसित और बेहतर स्वरूप को फ्लैट का नाम दिया गया है। जहां पर एक ही बिल्डिंग में अगल-अलग फ्लोर (मंजिल) में कई सारे परिवार रहते हैं। शहरों में भूमि के अभाव के कारण घर का स्थान धीरे-धीरे फ्लैटों ने ले लिया और यहीं से फ्लैट निर्माण की प्रक्रिया की शुरुआत हुई।

वास्तु शास्त्र ने फ्लैट में रहने वालों को स्वस्थ, सुखी और समृद्ध जीवन जीने में सहायता करने के लिए सही दिशा, वायु, भूखंड के आकार और वेंटिलेशन का चयन करने पर अत्यधिक जोर दिया। हालांकि अधिकांश भारतीय अभी भी वास्तु-अनुपालन वाले घरों की तलाश करते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि सभी अपार्टमेंट वास्तु के दिशानिर्देशों का पूरी तरह से पालन नहीं हो पाता है।

तुलनात्मक रूप से, भारत में रियल एस्टेट डेवलपर्स केवल अंतरिक्ष के इष्टतम उपयोग प्राप्त करने का लक्ष्य रखते हैं। लेकिन कई बिल्डर वास्तु के अनुरूप फ्लैट देने की पेशकश करते हैं। आपको यह पुष्टि करने के लिए कि फ्लैट का निर्माण वास्तु के अनुसार हुआ है इसके लिए आपको फ्लैट को अच्छी तरह से देखना चाहिए, कि क्या सब कुछ पूरी तरह से वास्तु सम्मत बनाया गया है। वास्तु नियमों के अनुसार फ्लैट बनाया गया है या नहीं, यह जांचने के लिए कुछ प्रभावी वास्तु टिप्स हैं जो आपके लिए मददगार साबित होंगे।

औद्योगीकरण (industrialization) के कारण लोग ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर आ रहे हैं। रोजगार के अवसर शहरों में जनसंख्या विस्फोट का कारण बन सकते हैं। स्वाभाविक रूप से, भूमि की कमी के परिणामस्वरूप बहुमंजिला इमारतों (multi-storey buildings) जैसे फ्लैट कल्चर (flat culture) का विकास हो रहा है। ऐसी बहुमंजिला इमारतों (multi-storey buildings) में लोग फ्लैटों में रहते हैं। परंतु इन फ्लैटों में वास्तु में दोषों के कारण होने वाले नुकसान को भी लोगों का उठाने पड़ रहे हैं, क्योंकि यहां पर पंच तत्वों का संतुलन (balance of five elements) बिठाना थोडा सा मुश्किल होता है।

इसके बजाय, बहुत से लोग अपने व्यस्त कार्यक्रम और बजट को पूरा करने के लिए रेडी टू मूव फ्लैट्स को प्राथमिकता देते हैं। घर की तुलना यदि फ्लैट से करें तो इसमें धन और समय दोनों की बचत होती है। नई संपत्ति खरीदते समय और बजट के साथ-साथ वास्तु को एक आवश्यक बेंचमार्क माना जाता है। इसमें सिद्धांतों का एक समूह होता है जिसे बड़ी संख्या में लोगों द्वारा पालन किया जाता है।

फ्लैट खरीदते समय महत्वपूर्ण वास्तु टिप्स को ध्यान में रखना चाहिए -
Important Vastu tips to keep in mind while buying a flat -

यदि आप एक रेडी-टू-मूव फ्लैट खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो निम्नलिखित वास्तु बिंदुओं पर ध्यान दें। ऐसा फ्लैट वास्तु-अनुपालन वाला हो जिससे वह आपको जीवन भर शुभ परिणाम दे।

1. फ्लैट के मुख्य द्वार पर जरूर ध्यान दें (Give attention to the main door of the flat )

पूर्व और उत्तर पूर्व (उच्च कोटि) की ओर आमतौर पर एक फ्लैट के प्रवेश द्वार के लिए शुभ माना जाता है। वास्तु नियमों के अनुसार, ऐसी दिशाओं में प्रवेश द्वार की उपस्थिति फ्लैट के निवासियों के लिए सकारात्मक वाइब्स और सौभाग्य में वृद्धि करती है। साथ ही फ्लैट के प्रवेश द्वार के लिए दक्षिण या पश्चिम दिशा को अशुभ संकेत माना जाता है। इसलिए यदि आपके फ्लैट का द्वार दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर है तो ऐसे में वास्तु सिद्धांतों के द्वारा इसकी जांच करवा लेनी चाहिए। ऐसा नहीं है कि दक्षिण पश्चिम में मुख्य द्वार वाले फ्लैट अशुभ होते है। परंतु इसमें द्वार करने के विकल्प बहुत कम होते है ऐसे में इन फ्लैटों में द्वार करना मुश्किल भरा कार्य होता है। उच्च कोटि में द्वार स्थापना से शुभ फल की प्राप्ति होती है अर्थात यह गृह स्वामी को शुभ रहता है अतः उच्च कोटि में ही द्वार बनाना चाहिए।

  • उत्तरी ईशान (NNE) उच्च कोटि में होता है, अतः इस उच्च कोटि में द्वार बनाना शुभ फलदायक होता है ।
  • पूर्वी ईशान (ENE) भी उच्चकोटि में होता है। यहां पर द्वार निर्माण करना सर्वोत्तम माना गया है।
  • पूर्वी आग्नेय (ESE) निम्न कोटि में होता है, इसलिए इस दिशा में द्वार करना शुभ फलदायी नहीं होता है।
  • दक्षिण आग्नेय (SSE) उच्चकोचि में होता है , इस दिशा में द्वार करना शुभ परिणाम देने वाला होता है।
  • दक्षिण नैऋत्य (SSW)की स्थिति निम्न कोटि को होती है। इस दिशा में द्वार करना शुभफलदाई नहीं होता है। आर्थिक हानि तथा परिवार की स्त्रियों के स्वास्थ्य प्रायः ठीक नहीं रहते हैं।
  • पश्चिमी नैऋत्य (WSW)भी निम्नकोटि का होता है। इस दिशा के द्वार अच्छे परिणाम नहीं देते हैं।
  • पश्चिमी वायव्य (WNW) उच्चकोटि का होता है और यहां पर द्वार करना शुभ माना गया है।
  • उत्तरी वायव्य (NNW) निम्नकोटि की स्थिति में होता है इसलिए यहां पर द्वार नहीं करना चाहिए।

2. फ्लैट (अपार्टमेंट) की दीवार पड़ोसी के साथ शेयरिंग नहीं होनी चाहिए (Don't Share Flat (apartment) Wall with the neighbour

आपके और आपके पड़ोसी के अपार्टमेंट के बीच एक साझा दीवार की उपस्थिति से आपके फ्लैट में मिश्रित ऊर्जा की संभावना हो सकती है। ऐसे में कॉमन शेयरिंग वॉल से बने फ्लैट से बचना ही अच्छा है। अगर फ्लैट की दक्षिण (South Wall) या पश्चिम दीवार (West Wall) पड़ोसी से जुड़ी है, तो यह गलत नहीं होगा। फ्लैट की उत्तर व पूर्व दीवार (north and east wall) को पड़ोसी के फ्लैट से टच (Touch) होने से बचना चाहिए।

3. फ्लैट में हवा और प्रकाश की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए (There should be good source of air and light in the flat)

फ्लैट वास्तु में प्राकृतिक प्रकाश (natural light) की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसका हमारे दैनिक जीवन (Daily Life) पर बहुत प्रभाव पड़ता है। जैसा कि आमतौर पर सुबह की धूप को सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत (source of positive energy) माना जाता है, वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर या पूर्व दिशा (north or east direction) में खिड़कियों और बालकनियां (windows and balconies) शुभ मानी जाती है। सुबह की धूप अच्छी सेहत के लिए भी फायदेमंद मानी जाती है। फ्लैट के दक्षिण-पश्चिम (Southwest) कोने में खिड़कियां नहीं होनी चाहिए। पितृ पद में खिड़की बनाने से बचना चाहिए ।

4. फ्लैट में लिविंग रूम की व्यवस्था किस प्रकार होनी चाहिए (How to design living room in the flat?)

पूर्व दिशा में आपके लिविंग रूम की उपस्थिति उनके निवासियों के लिए फायदेमंद मानी जाती है क्योंकि यह विकास में सहायता करती है और वास्तु शास्त्र के अनुसार सामाजिक संबंधों को मजबूत करने में भी मदद करती है। ब्रह्म स्थान, उत्तर (North) में हो सकता है व दक्षिण-पूर्व (South-East) में हो सकता है।

5. फ्लैट में किचन कहां पर होनी चाहिए (where should the kitchen in the flat)

किसी भी फ्लैट के लिए किचन सबसे जरूरी हिस्सा होता है। आपके फ्लैट के दक्षिण-पूर्व कोने को रसोई के लिए एक शुभ और सबसे बेहतर दिशा माना जाता है। गैस या चूल्हा रखने के लिए दक्षिण-पूर्व दिशा का चयन करना चाहिए। ऐसे में भोजन पकाने के लिए व्यक्ति का मुख पूर्व दिशा की ओर ही होना चाहिए। ज्यादा जरूरी होने पर पूर्व (East) में भी रसोई हो सकती है, परंतु यह सर्वोत्तम नहीं है। रसोई को आप उत्तर-पश्चिम या दक्षिण (North-West and South) में भी कर सकते हैं।

6. फ्लैट में बेडरुम कहां पर होना चाहिए (where should be the bedroom in the flat)

पूर्व और दक्षिण पूर्व दिशा में शयनकक्ष की उपस्थिति चिंता और आंतरिक संघर्ष का कारण बन सकती है। बेडरूम को ऐसी दिशा में नहीं रखने की सलाह दी जाती है। वास्तु के अनुसार बेडरुम दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य) की ओर होना चाहिए। पश्चिम दिशा में बेडरुम के लिए बहुत अच्छा माना जाता है और यह जीवन के लिए शुभ होता है। दक्षिण दिशा के कमरे में सोना सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। बेडरुम में दक्षिण-पश्चिम की ओर, पूर्व और उत्तर की ओर अधिक स्थान छोड़ते हुए बिस्तर रखें।

7. फ्लैट का वॉशरुम और टॉयलेट कहां पर होना चाहिए (Where should the washroom and toilet in the flat ?)

वास्तु शास्त्र के अनुसार, फ्लैट के लिए उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा के बीच टॉयलेट होने का सुझाव नहीं दिया जाता है, क्योंकि यह व्यक्ति की प्रतिरक्षा को नुकसान पहुंचा सकता है। दक्षिण या फिर दक्षिण-पश्चिम में टॉयलेट निर्माण अच्छा होता है। टॉयलेट का गटर आपके फ्लैट पश्चिम दिशा में होना चाहिए। दक्षिण दिशा के अतिरिक्त टॉयलेट की खिड़कियाँ और दरवाजे किसी भी दिशा में हो सकते हैं।

8. फ्लैट में दरवाजों और खिड़कियों की संख्या कितनी होनी चाहिए
(What should be the number of doors and windows in the flat?)

पूजा स्थल का निर्माण करते समय सभी देवताओं की मूर्तियों को हमेशा पूर्व दिशा में रखें ताकि पूजा करते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर रहे। वास्तु के अनुसार, सीढ़ियों के नीचे अपना पूजा स्थान / कमरा नहीं बनाना चाहिए क्योंकि यह प्रतिकूल माना जाता है। पूजा घर का निर्माण बाथरुम और टॉयलेट के पास नही करना चाहिए।

फ्लैट के लिए अतिरिक्त वास्तु जिसका ध्यान सभी को रखना चाहिए
(Vastu tips of flats that everyone should take care)

इसके अलावा, फ्लैट की जल निकासी, फ्लैटों की पार्किंग व्यवस्था, प्रवेश द्वार और परिसर की दीवार के आसपास खुली जगह, फ्लैटों के ओवरहेड टैंक पर भी अतिरिक्त ध्यान देना चाहिए। यह दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पूर्व या पूर्व या उत्तर दिशा (south-east or north-east or east or north direction) की ओर नहीं होना चाहिए। और केंद्र में नहीं होना चाहिए, जिसे ब्रह्मस्थान कहा जाता है। पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर हो तो अच्छा है। वास्तु के अनुसार पार्किंग दक्षिण दिशा की ओर नहीं होनी चाहिए। प्लैटों का मुख्य द्वार या कंपाउंड (Compound) परिसर का मुख्य द्वार दक्षिण-पश्चिम (South-West) में नहीं होना चाहिए।

निष्कर्ष:

वास्तु शास्त्र संरचना (निर्माण) का एक प्राचीन विस्तृत अध्ययन है जो हमें सामंजस्यपूर्ण जीवन के बारे में मार्गदर्शन करेगा। हमारे ऋषियों और संतों ने काफी शोध और प्रयोग के बाद वास्तु विज्ञान का विकास किया और निर्माण के लिए एक साझा मंच विकसित किया। जब आप एक अपार्टमेंट में एक फ्लैट खरीद रहे हैं और एक फ्लैट किराए पर लेना चाहते हैं, तो आपको उपर्युक्त कुछ वास्तु पहलुओं पर अतिरिक्त ध्यान देना चाहिए। हालांकि बड़ी संख्या में लोग अभी भी सोचते हैं कि वास्तु इतना महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि उनका घर जमीन को नहीं छू रहा है लेकिन वास्तु उस तरह काम नहीं करता है। आप चाहे कितनी भी मंजिलों पर जी रहे हों, फिर भी आप जमीन से जुड़े हुए हैं। इसलिए फ्लैट खरीदते समय हमेशा वास्तु टिप्स का पालन करें।

वास्तु विद् -रविद्र दाधीच (को-फाउंडर) वास्तुआर्ट