रक्षाबंधन का पर्व प्रेम-सौहार्द्र और भाई-बहन के स्नेह का पावन पर्व है। रक्षाबंधन के पर्व से भाई-बहन के रिश्तों में प्रागढ़ता आती है। रक्षाबंधन के पर्व में बहन अपने भाई के उज्जवल भविष्य और उसकी रक्षा के लिए ईश्वर से मंगलकामना करती है। और भाई भी इस बंधन की आन को निभाने के लिए बहन की रक्षा करने का प्रण लेता है। इस दिन बहने अपने भाई के हाथ की कलाई में राखी स्वरुप रक्षासूत्र बांधती हैं और अपने भाई से रक्षा का वचन मांगती है।
रक्षा बंधन का पर्व पूरे भारत वर्ष में श्रावण मास की पूर्णिमा तिथी को बड़े ही श्रद्धा और निष्ठा भाव के साथ मनाया जाता है।
इस पर्व में प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी ज्योतिष के शास्त्रीय विधान के अनुसार कुछ भ्रांतियाँ और संशय जन मानस मेें व्याप्त है। सभी ज्योतिष विद्वानों ने रक्षाबंधन के मुहूर्त में अपने-अपने विचार प्रस्तुत कीये हैं। ऐसे में लोग इस बात को लेकर भ्रामित हैं, कि रक्षाबंधन 11 अगस्त को मनाया जाये या फिर 12 अगस्त के दिन।
ऐसे में वास्तुआर्ट के सह-संस्थापक रविन्द्र जी दाधीच इस भ्रांति को दूर करने के लिए रक्षाबंधन में भद्रा मुहूर्त का विश्लेषण कर बताया है। कि किस मुहूर्त में बहने अपने भाई को राखी बांधे और उसके शुभ फल प्राप्त करें।
रक्षाबंधन के पर्व में भद्रा काल के संदर्भ में उल्लेख किया गया है, कि
!! भद्रायां द्वे न कर्त्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा !!
वर्ष 2022 में श्रावण माह की श्रावणी पूर्णिमा 11 अगस्त, 2022 को 10:39 से 12 अगस्त, 2022 को 07:06 बजे तक है, जिसमें भद्रा पहले दिन अर्थात् 11 अगस्त, 2022 को 10:39 से 20:51 बजे तक रहेगी। ऐसी स्थिति में ज्योतिष और पंचांग के मत के अनुसार निम्नलिखित नियमों का वर्णन किया गया है।
प्रथम नियम में पुरुषार्थ चिंतामणि में बताया इस श्लोक के माध्यम से बताया है, कि
यदा द्वितीयापराह्णात् पूर्वं समाप्ता, तदापि भद्रायां द्वे न कर्त्तव्ये इति भद्रायां निषेधादुत्तरैव।
अर्थात - प्रथम दिन भद्रा पूर्णिमा के अपराह्न काल में व्याप्त है और दूसरे दिन पूर्णिमा तीन मुहूर्त या उससे अधिक है, तो दूसरे दिन रक्षाबन्धन होता है, भले ही पूर्णिमा दूसरे दिन अपराह्न में व्याप्त नहीं हो, और दूसरे दिन अपराह्न में ही रक्षाबन्धन किया जाता है. क्योंकि उस अवधि में साकल्यापादित पूर्णिमा रहेगी ।
रक्षाबंधन में भद्रा को लेकर एक दूसरा नियम का वर्णन श्लोक के माध्यम से बताया गया है कि -
यदा तूत्तरत्र मुहूर्त्तद्वय (तत्र) मध्ये किञ्चित् न्यूना पौर्णमासी, मदापराह्ने सर्वथा तद्भावात् ।
प्रदोषे- पश्चिमौ यामौ दिनवत् कर्म चाचरेत्, इति पराशरात्, भद्रान्ते प्रदोषयामेऽनुष्टानम्।।
अर्थात - यदि दूसरे दिन पूर्णिमा तीन मुहूर्त अथवा उससे अधिक व्याप्त नहीं हो, तो उस दिन अपराह्न में साकल्यापादित पूर्णिमा भी नहीं रहेगी। ऐसी स्थिति में पहले दिन ही भद्रा के पश्चात् प्रदोष के उत्तरार्ध में रक्षाबन्धन करना चाहिए।
इस इन उपरोक्त दोनों श्लोकों का विश्लेषण कर हम इस रक्षाबंधन में राखी बांधने के इस मुहूर्त निष्कर्ष में पहुंचे हैं। कि 12 अगस्त, 2022 को भद्रा तीन मुहूर्त व्यापिनी नहीं है। ऐसी स्थिति में ऊपर दर्शाए गये प्रथम श्लोक के अनुसार 11 अगस्त, 2022 दिन गुरुवार को ही प्रदोषकाल में भद्रा के पश्चात् अर्थात् 08:51 बजे के बाद रक्षाबन्धन किया जाना चाहिए। यह ज्योतिष का श्रेष्ठ विचार है जोकि मुहूर्त मंथन के पश्चात प्राप्त हुआ है।
वास्तु विद् - रविद्र दाधीच (को-फाउंडर वास्तुआर्ट)