होटल का ब्रह्म स्थान कहां पर और कैसा होना चाहिए ?
किसी भी होटल (रेस्टोरेंट) के बीच के स्थान को होटल का ब्रह्म स्थान कहा जाता है। पुराने समय की बात करें तो जो घर (भवनों) में जो बीच में खाली स्थान (चौक) छोड़ा जाता था, वही ब्रह्म स्थान होता है। इस ब्रह्म स्थान का धार्मिक महत्व भी है और इस वजह से होटल के इस ब्रह्म स्थान को हमेशा साफ-सफाई के रखा रखा जाता है। वर्तमान समय में बिल्डर, इंजीनियर, व आर्किटेक्ट और वास्तुशास्त्री हमेशा की तरह इस ओर विशेष ध्यान देकर होटल या रेस्टोरेंट का निर्माण करवा रहे हैं।
परंतु आज के समय में थोडी सी समस्या यहां पर आ रही है। कि लोग आज चौक या फिर ब्रह्म स्थान की जगह को न छोड़कर उसमें भी निर्माण करवा लेते हैं।
परंतु ऐसा बिल्कुल भी नही करना चाहिए। ब्रह्मा स्थान का संबंध पंचमहाभूतों के आकाश तत्व से है । ब्रह्म स्थान के देवता ब्रह्मा जी हैं। ऐसे में यदि आपके होटल का आकाश तत्व असंतुलित हो जाता है। तो उससे मिलने वाले लाभों में कमी देखने को मिलेगी। जिससे होटल से संबंधित आपका व्यापार ब्रह्म स्थान की वजह से प्रभावित होगा। इसलिए इस ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
होटल के ब्रह्म स्थान से जुड़े वास्तु नियमों का अनुसरण करते हुए आप अपने होटल के ब्रह्म स्थान को अधिक प्रभावी बनाकर व्यापार में वृद्धि कर अच्छा लाभ कमा सकते हैं।
- होटल निर्माण के समय जहां तक संभव हो सके तो बीच में ब्रह्म स्थान की जगह पर निर्माण कार्य न करें।
- होटल में ब्रह्म स्थान का निर्धारण करने के लिए होटल के भूखण्ड को तीन बराबर भागों की लंबाई-चौडाई को बांट कर उसमें जो बीच का स्थान प्राप्त हो उसे ब्रह्मस्थान के लिए छोड़ दें। यही होटल के बीच का स्थान ब्रह्म स्थान होगा। यदि किसी कारणवश निर्माण आवश्यक हो तो ब्रह्म स्थान के 9 भाग करें और बीच के नवमें भाग को खाली ही छोड़ दें।
- होटल के ब्रह्म स्थान में तलघर का निर्माण नही करना चाहिए।
- स्थान की कमी के कारण अगर होटल का मध्य भाग न छोड़ सके तो उस स्थान पर रसोईघर, शौचालय, शयन कक्ष व वेस्ट स्टोरेज का रुम आदि बनाने से पूरी तरह बचें।
- होटल के मध्य भाग में लाल, नीला, व काले रंग का प्रयोग करने से बचना चाहिए। क्योंकि यह ब्रह्म स्थान अर्थात आकाश तत्व का प्रतिनिधित्व करता है और यहां पर सफेद रंग का प्रयोग करना चाहिए। फर्श भी सफेद ही करें फर्श में सफेद मार्बल लगा सकते है अन्य किसी कलर लगाने से परहेज करें।
- होटल के ब्रह्म स्थान में कुंआ, पानी की टंकी, बोरिंग, सैप्टिक टैंक, व स्वीमिंग पूल आदि नही बनाने चाहिए। क्योंकि यह आपके होटल की ऊर्जा को प्रभावित कर उसमें वास्तु दोष उत्पन्न कर सकते है। जिससे आपके होटल व्यापार में कई तरह की समस्याएं देखने को मिल सकती है।
- मर्म स्थान में कॉलम, दीवार, दरवाजा, खिड़की, बीम नही आना चाहिए।
- होटल के ब्रह्म स्थान में पेड़ व पानी का फाउंटेन (ड्रिंकिंग फाउंटेन) भी नही आना चाहिए।
वास्तु विद् - रविद्र दाधीच (को-फाउंडर वास्तुआर्ट)