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फैक्ट्री में पेड़-पौधे कहां पर और कौन-कौन से होने चाहिए ?

फैक्ट्री में पेड़-पौधे कहां पर और कौन-कौन से होने चाहिए ?

फैक्ट्री में लगे हरे-भरे पेड़-पौधे परिवेश (फैक्ट्री परिसर) में सुदरता के साथ सकारात्मकता बढ़ाने में मददगार होते हैं। वास्तुशास्त्र के मत के अनुसार ऐसे बहुत सारे पौधे हैं। जो न केवल वायु को साफ करते हैं। बल्कि बहुत सारे दोषों को समाप्त कर वास्तु की दृष्टि से लाभकारी भी होते है। आज हम वास्तु के उन सभी पौधों के बारे में जानेेंगे को फैक्ट्री तथा कारखानों में सुख, समृद्धि और सकारात्मक वातावरण को माहौल निर्मित करने में फैक्ट्री मालिक की आर्थिक स्तिथि सुदृढ करने में अहम भूमिका निभाते हैं।

वास्तु का ज्ञान हमें उन पेड़ों के बारें में जानकारी प्रदान करता है। जो हमारे देश वाशियों की जीवनशैली तथा परंपराओं में महत्वपूर्ण भूमिका प्राचीन काल से निभा रहे हैं।

वृक्षों के संबंध में भगवान श्री कृष्ण जी ने कहा है कि - वृक्षों में मैं अश्वत्थ हूँ

  • पीपल का पेड़ - पीपल के वृक्ष सबसे अधिक शुभ और दिव्य माना जाता है। भारत सहित कई देशों में पीपल की पूजा की जाती है। आधुनिक वैज्ञानिकों ने भी यह स्वीकार किया है। कि पीपल का वृक्ष सबसे ज्यादा आक्सीजन उत्सर्जित करता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह बहुत लाभकारी होता है। क्योंकि सूर्य उदय से पूर्व इस वृक्ष के चारो ओर चक्कर लगाने से स्वस्थ में सुधार होता है। भारतीय परंपरा के अनुसार पीपल के वृक्ष को मंदिरों को सामीप या फिर ऐसी जगह में लगाना चाहिए कि इसकी जड़े घरों तक न पहुंचें। क्योंकि इसकी जड़े विशाल होने के कारण फैक्ट्री को नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए इसको फैक्ट्री परिसर से दूर ही स्थापित करना चाहिए। या फिर आपने अपनी फैक्ट्री के पार्क है उसमें पीपल लगा सकते हैं। वास्तु के अनुसार पीपल के पेड़ को पश्चिम दिशा में लगाना चाहिए।
  • तुलसी का पौधा - तुलसी का पौधा आपको घर और मंदरों में आसानी से देखने को मिल सकते हैं। क्योंकि तुलसी के पौधे के बिना कोई भी पूजा और धार्मिक अनुष्ठान पूर्ण नही होते है। फैक्ट्री में लगे तुलसी के पौधे की तीव्र गंध से फैक्ट्री का वातावरण सुगंधित होता रहता है। तुलसी के पौधे में बहुत सारे औषधीय गुण भी होते है। जो अनेक रोगों को ठीक करने की क्षमता रखत हैं। तुलसी के पौधे का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व है। कि इसमें 27 प्रकार के खनिज पाए जाते है। जो आयुर्वेद की 300 औषधियों के निर्माण में सहायक होते है। फैक्ट्री में तुलसी के पेड़ सदैव उत्तर-पूर्व कोने (ईशान कोण) में लगाना चाहिए। पूजा के लिए तुलसी को केवल सूर्योदय के पूर्व ही तोड लेना चाहिए। तुलसी के पत्तों को तोड़ने में नाखूनों का प्रयोन नही करना चाहिए। तुलसी के पौधें की पत्तियों को रविवार के दिन नही तोड़ना चाहिए। दक्षिण दिशा में नीम का पेड़ लगाना चाहिए।
  • अशोक का पेड़ - वास्तु के अनुसार अशोक के पेड़ को फैक्ट्री में लगाना शुभ होता है। अशोक के पेड़ को लेकर वास्तुशास्त्र की ऐसी मान्यता है। कि अशोक का पेड़ फैक्ट्री में लगे अन्य पेड़ों के दोषों को समाप्त कर देता है। वास्तु शास्त्र अकोश के पेड़ को उत्तर दिशा में लगाने की सलाह देता है। फैक्ट्री की उत्तर दिशा में लगा अशोक का पेड़ फैक्ट्री में सकारात्मक माहौल निर्मित करने में खास भूमिका निभाता है।
  • अश्वगंधा का पौधा - अश्वगंधा एक आयुर्वेदिक पौधा है। । जिसको फैक्ट्री में लगाने से बहुत सारे लाभ प्राप्त होते हैं। फैक्ट्री में अश्वगंधा लगाने से वास्तुदोष का निवारण होता है। और सुख-शांति तथा समृद्धि में वृद्धि होती है। फैक्ट्री के आग्नेय कोण में अश्वगंधा का पौधा लगना चाहिए।
  • नारियल का पेड़ - नारियल का पेड़ फैक्ट्री के अंदर लगाने से फैक्ट्री में काम करने वाला श्रमिक वर्ग में काम के प्रति लगन रहती है। तथा फैक्ट्री में पदस्थ उच्च अधिकारी वर्ग का मान-सम्मान बढ़ता है। नारियल के पेड़ फैक्ट्री के गार्डन एरिया में दक्षिण-पश्चिम दिशा में लगाना चाहिए। इससे कर्मचारियों में स्थायित्व बढ़ता है और कंपनी का विकास सुनिश्चित होता है। वैसे तो पेड़ो को काटना पाप करने के बराबर होते है। फिर भी यदि किसी विशेष उद्देश्य पूर्ती के लिए आप पेड़ो की कटाई कर रहे है तो इस बात का सदैव ध्यान रखना चाहिए। कि पेड़ो को हिन्दू महीना भाद्रपद ( अगस्त-सितम्बर) व माघ मास (जनवरी-फरवरी) में नही काटना चाहिए।
  • बेल का पेड़ - बेल के पेड़ के संबंध में शिवपुराण से जानकारी प्राप्त होती है। कि जिस भूमि में बेल का पेड़ लगा होता है। वहां की भूमि काशी तीर्थ के तुल्य पूजनीय हो जाती है। और उस स्थान से सभी प्रकार की तंत्रिक बाधाओं का नाश हो जाता है। फैक्ट्री में बेल का पेड़ लगाकर अक्षय फल की प्राप्ति कर सकते हैं। फैक्ट्री में बेल का पेड़ लगाने से माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और धन-धान्य की कमी नही होती है। बेल पत्र के संदर्भ में कथा प्रचलित है। कि भगवान शिव पर बेल पत्र अर्पित करने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती है। क्योंकि बेल पत्र की जड़ों में माँ लक्ष्मी जी का वास होता है। इन सभी परिमाणों को आधार पर ही बेल के वृक्ष को त्रीवृक्ष भी कहते हैं।
  • कृष्णकांता - कृष्णकांता की बेल को धन के बेल की संज्ञा दी गयी है। क्योंकि ज्योषित और वास्तु के जानकारों का कहना है। कि फैक्ट्री या फिर व्यवसायिक संस्थान में जैसे-जैसे कृष्णकांता की बेल वृद्धि करती है। ठीक उसी प्रकार फैक्ट्री के माहौल में खुशहाली और संपन्नता में विकास होता है। इस बेल को लगाने का सही समय फरवरी या फिर मार्च है। कृष्णकांता की बेल को फैक्ट्री में लगाने से पैसे की बरकत में सुधार और नकारात्मकता का संचार खत्म हो जाता है।
  • केले का पेड़ - हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार केले के पेड़ को बहुत पवित्र माना जाता है और साथ ही यह पेड़ धन और समृद्धि का कारक भी होता है। केले के पेड़ को स्थापित करने के संबंध में वास्तु कहता है। कि केले को पेड़ को उत्तर पूर्व दिशा के बीच ईशान कोण में लगाना चाहिए। केले के पेड़ का घर के सामने नही लगाना चाहिए । केले के पेड़ को फैक्ट्री के पीछे लगाना चाहिए। केले के पेड़ के आसपास कोई भी कटीला पौधा नही लगाना चाहिए। और इसके आसपास गंदगी नही होनी चाहिए। केले के जो पत्ते खराब या फिर सूखने लगते है। उन पत्तों को अलग कर देना चाहिए। केले के पत्तों का उपयोग हिन्दू धर्म में विभिन्न धार्मिक कार्यों में प्रयोग किया जाता है। क्योंकि इसके पत्ते बहुत ही शुद्ध होते है तथा दक्षिण भारत में प्राचीन काल से लेकर आज तक केले के पत्तों में भोजन करने की परंपरा है। जिसका सीधा संबंध हमारे स्वास्थ्य से हैं।
  • नारियल का पेड़ - वास्तु शास्त्र में मान्यता है। कि नारियल के पेड़ फैक्ट्री में लगाने से सुख समृद्धि व शांति की प्राप्ति होती है। नारियल की लंबाई वाले लंबे पेड़ फैक्ट्री के बैकयार्ड या कंपनी के गार्डन एरिया की दक्षिण-पश्चिम दिशा में लगाना चाहिए। फैक्ट्री में नारियल का पेड़ लगा होने से फैक्ट्री में कर्मचारियों का स्थायित्व और विकास सुनिश्चित होताा है।

वास्तु विद् - रविद्र दाधीच (को-फाउंडर वास्तुआर्ट)