वास्तु शास्त्र में ब्रह्म स्थान का बहुत बड़ा महत्व होता है। हर भूखण्ड के बीचों बीच ब्रह्म स्थान की जगह नियत होती है। ब्रह्म स्थान का संबंध फैक्ट्री की सुख-शांति और समृद्धि से होता है। ब्रह्म स्थान को भगवान ब्रह्मा जी से भी जोड़कर देखा जाता है। क्योंकि भगवान ब्रह्मा जी संपूर्ण सृष्टि के रचियता है। इसलिए यह स्थान ब्रह्मा जी को समर्पित है और ब्रह्म स्थान को हमेशा खाली (भारहीन) रखना चाहिए। यदि आप ऐसा नही करते है। तो सृष्टि के सृजन करता का निरादर होता है। ।
प्राचीन काल में ब्रह्म स्थान के संदर्भ में सभी घरों में के आंगन में तुलसी चौरा छोड़ा जाता है। जिसे चौक ने नाम से भी जानते है। इसे को ब्रह्म स्थान माना जाता था। ब्रह्म स्थान का धार्मिक महत्व भी है। और ब्रह्म स्थान की सदैव साफ-सुथरा रखना चाहिए। आज के इंजीनिरय वा वास्तुशास्त्री भी इस ओर विशेष ध्यान देते हैं। और ब्रह्म स्थान को छोडकर बाकी सारा निर्माण कार्य करवा लेते है। वास्तु से हिसाब से फैक्ट्री में भी ब्रह्म स्थान का भी विशेष महत्व होता है। जिसमें ध्यान देने की आवश्यकता फैक्ट्री निर्माण में भी है। आज बिल्डर, इंजीनियर, व वास्तुविद् भी वास्तु के इस तथ्य की ओर ध्यान देकर फैक्ट्री तथा अन्य व्यवसायिक भवनों का निर्माण कार्य करवा रहें हैं।
वास्तु विद् - रविद्र दाधीच (को-फाउंडर वास्तुआर्ट)