व्यापारी वर्ग (बिजनेसमैन) फैक्ट्री का निर्माण अपनी आर्थिक समृद्धि के लिए करते हैं। इसलिए फैक्ट्री का निर्माण करते समय वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों का पर्याप्त ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि फैक्ट्रियों के मालिकों द्वारा फैक्ट्री की इमारत, मशीनों, बायलर के निर्माण और उपकरणों पर एक बहुत बड़ी रकम व्यय की जाती है। इसके अतिरिक्त वे उत्पादन में सर्वोत्तम परिणाम पाने की इच्छा, अच्छी प्रबंधन व्यवस्था करने , दुर्घटनाओं , हड़तालों तथा तालाबंदी कम-से-कम करने, अग्नि से होने वाले विनाश से बचने के लिए अच्छी धनराशि खर्च करते है। ताकि लाभ कमा सकें।
वास्तु के सिद्धांतों का पालन किया जाए, तो अधिक उत्पादन, बिक्री में वृद्धि, और फैक्ट्री के कामकाज सुचारू रुप से चलते रहते हैं। तथा कामकाज में कोई समस्या नहीं होती है। उद्योग जो भी हो, वास्तु के सिद्धांत मोटे तौर पर समान रहते हैं और फैक्ट्री का निर्माण करते समय इसे ध्यान में रखा जाना चाहिए।
फैक्ट्री का निर्माण, फैक्ट्री में बॉयलर स्थापित करना, फैक्ट्री में उत्पादों को बनाना और उन्हें ग्राहकों को भेजना। यह कार्य लगभग सभी फैक्ट्रियों में एक सामान होते हैं। परंतु अलग-अलग फैक्ट्रियों में उनकी गतिविधियां भिन्न-भिन्न हो सकती है। और वास्तु शास्त्र के व्यापक सिद्धांत सार्वभौमिक रूप से सभी फैक्ट्रियों में लागू होते हैं।
फैक्ट्री में बिजली और अग्नि से चलने वाले उपकरण (बॉयलर) और फैक्ट्री के ढ़ाचे का निर्माण वास्तु अनुसार ही करना चाहिए। बॉयलर से जुड़ी चीजों का चयन करना बहुत महत्वपूर्ण कार्य होता है। इस पूरी सावधानी के साथ वास्तुपूरक सिद्धांतों के आधार पर ही करना चाहिए।
वास्तु शास्त्र के अनुसार चिमनी या बॉलयर का स्थान फैक्ट्री में निर्धारित करने पर विशेष ध्यान देना चाहिए। क्योंकि उसे अग्नि तत्व की जगह पर बनाना होगा। यह स्थान फैक्ट्री की दक्षिण-पूर्व में होगा। यह स्थान अग्निदेव का होता है यहां पर आग से संबंधित उपकरण स्थापित करने पर फैक्ट्री में लाभ की संभावना बनी रहती है।
यदि फैक्ट्री में प्रयोग होने वाली मशीनरी और उपकरण वास्तु सिद्धातों के अनुसार स्थापित नही हैं तो फैक्ट्री में निम्नलिखित परेशानियों को सामना करना पडता है।
फैक्ट्री के अग्नि कोण (दक्षिण दक्षिण-पूर्व) में चिमनी , भट्टी, इलैक्ट्रानिक मीटर आदि का स्थान होना चाहिए। फैक्ट्री का यह स्थान प्रणोदक ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती है। जिसके परिणाम स्वरुप अग्नि तत्व सामान रहता है। और फैक्ट्री में एनर्जी का संचालन सुचारु रुप से होता है। इस स्थान का स्वामी शुक्र व देवता अग्नि होते हैं। जो धन और वैभव को बनाए रखने में फैक्ट्री मालिक की मदद करते हैं। इसके प्रभाव से फैक्ट्री मालिक उत्पादों से धन अर्जित करने का मार्ग निरंतर खुला रहता है।
वास्तु विद् - रविद्र दाधीच (को-फाउंडर वास्तुआर्ट)