फैक्ट्री का आकार कैसा होना चाहिए?
फैक्ट्री या फिर व्यापारिक प्रतिष्ठान में कड़ी मेहनत एवं प्रयास करने के बाद भी फैक्ट्री के उत्पादन में वृद्धि नहीं होती और निरंतर आर्थिक हानि होती रहती है। अतः फैक्ट्री एवं व्यापारिक प्रतिष्ठानों के संबंध में निम्नलिखित वास्तु नियमों को ध्यान में रखकर संचालन करना चाहिए। जिससे मानसिक शांति एवं आर्थिक लाभ की संभावनाओं में निरंतर वृद्धि होती है।
फैक्ट्री निर्माण भारतीय वास्तु शास्त्र में निर्दिष्ट सूत्र एवं सिद्धांतों के आधार पर ही करना चाहिए। क्योंकि वास्तु के अनुरुप बनाई गई फैक्ट्री फैक्ट्री मालिक के लिए अत्यंत भाग्यशाली सिद्ध होती है। वहीं पर अगर इसके निर्माण में जरा-सी चूक फैक्ट्री मालिक की बर्बादी का कारण भी बन सकती है।
जीवन में कर्म के अतिरिक्त दो चीजें, भाग्य और वास्तु हर इंसान को प्रभावित करते हैं। इन तीनों का समायोजित अनुपात में इंसान की खुशी में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं। यदि वास्तु कमजोर है तो भाग्य के सितारे बलवान भी हों तो भी परिश्रम का परिणाम कम ही प्राप्त होता है। इसके विपरीत वास्तु अच्छा है तो व्यक्ति का वर्तमान और भविष्य दोनों ही अच्छे होंगे।
वास्तु के सिद्धांतो का पालन करते हुए हम मानसिक व्यथा को दूर करने या मन की शांति प्राप्त करने की चेष्टा करते हैं। वास्तु के द्वारा हम सर्वथा भाग्य को तो नहीं बदल सकते है। परंतु हम अपनी जीवनशैली में मृदुला और निर्विध्नता लाने का पूरा प्रयास वास्तु के अनुसार करते हैं। वास्तु उपचार से जीवन की बहुत सी कठिनाइयां कम की जा सकती हैं।
यहां पर चर्चा कर रहे हैं, फैक्ट्री के आकार के बारे में कि वास्तु के अनुसार किस आकार की फैक्ट्री होनी चाहिए। जो व्यापार वृद्धि में अच्छी भूमिका निभाए।
फैक्ट्री के आकार के लिए वास्तु के नियम भवन वास्तु के नियमों से थोड़ा सा भिन्न हो सकते है। क्योंकि व्यायापार और उद्योग की आवश्यकताओं के अनुसार फैक्ट्री के भूखण्ड की आकृति व आकार में बदलाव किया जा सकता है। फैक्ट्री के लिए वास्तु के सिद्धांतो के बारे में अलग से विचार किया गया है। जोकि इस प्रकार है -
फैक्ट्री के आकार कौन-कौन से आकार श्रेष्ठ है और कौन नही
- फैक्ट्री के भूखण्ड का आकार वर्गाकार होना चाहिए। यह फैक्ट्री के लिए ठीक भूखण्ड होता है।
- फैक्ट्री निर्माण के लिए आयताकार प्लॉट भी अच्छा होता है। परंतु लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 1:2 से अधिक नही होना चाहिए। ।
- त्रिकोण आकार के भूखण्ड फैक्ट्री उद्देश्य से अच्छे नही माने जाते हैं। परंतु फैक्ट्री मालिक की जन्म कुण्डली में मंगल बलवान होने पर किया जा सकता है। ऐसे भूखण्ड को आयताकार या फिर वर्गाकार बना कर शेष भूमि अन्य कार्यों में प्रयोग ली जा सकती है। परंतु इसके लिए वास्तुविद् की सलाह अनिवार्य है।
- अण्डाकार और अन्य सभी विषम आकार के भूखण्डों का निर्धारण वास्तु के अनुसार सुधार कर उसमें फैक्ट्री निर्माण किया जा सकता है।
- मूसलाकार भूखण्ड ऐसे भूखण्ड के अंतर्गत आते है। जिनकी लंबाई चौडाई से तीन गुना ज्यादा होती है। अर्थात यदि किसी भूखण्ड की चौड़ाई 15 फुट है तो उसकी लंबाई 60 फिट होगी। वास्तु की नजर में मूसलाकार भूखण्ड अच्छे नही माने जाते है। परंतु वास्तु के कुछ विशेष उपाय करने से वे लाभ दे सकते हैं।
- वृत्ताकार भूखण्ड गोल भूखण्ड के अंतर्गत आते हैं। ऐसे भूखण्ड को फैक्ट्री निर्माण की दृष्टि से अच्छे नही माने जाते है। परंतु ऐसे भूखण्डों में साधु-संन्यासियों, मठ-मंदिर तथा धार्मिक जगहों के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं। क्योंकि यहां पर जो लोग निवास करते है। उनके तपोबल में वृद्धि होती है।
- षटकोणीय या अष्टकोणीय भूखण्ड फैक्ट्री के लिए शुभ नही होते है। ऐसे भूखण्ड दुर्भाग्य लेकर आते हैं। इन भूखण्डों में यदि फैक्ट्री का निर्माण करवा लेते है। तो जीवन भर दुर्भाग्य पीछा नही छोड़ता है। और अग्नि का भय बना रहता है।
- एल आकार (L) के भूखण्ड भी फैक्ट्री निर्माण की दृष्टि से अच्छे नही माने जाते है। परंतु इनका विभाजन करके आयताकार या वर्गाकार बनाकर वास्तु के नियम लागु करके इसमें फैक्ट्री या अन्य व्यवासाय का विचार किया जा सकता है।
- टी आकार के (T) भूखण्ड भी वास्तु के नजरिए से शुभ नही होते हैं। टी आकार के भूखण्डों को वास्तु के अनुरुप परिवर्तित करके दो या फिर तीन भागों में विभाजित करके उसमें फैक्ट्री का निर्माण किया जा सकता है।
- यदि भूखण्ड वास्तु के अनुसार सुधार योग्य नही है। तो ऐसी भूमि में फैक्ट्री का निर्माण नही करना चाहिए।
- जिस फैक्ट्री एवं व्यापारिक संस्थान के आगे का भाग कम चौड़ा और पीछे का भाग अधिक चोड़ा या फिर फैला हुआ हो तो ऐसी गौमुखी फैक्ट्री या व्यापारिक भूखण्ड फैक्ट्री निर्माण या फिर किसी भी वाणिज्य कार्य के लिए अच्छे नही होते हैं।
- जिस फैक्ट्री या फिर व्यापारिक प्रतिष्ठान (दुकान) का भाग आगे से चौड़ा और पीछे से संकरा हो तो वह सिंहमुखी भूखण्ड कहलाता है। सिंहमुखी भूखण्ड फैक्ट्री निर्माण, व्यापार कार्य आदि के लिए शुभ एवं श्रेष्ठ होता है।
- सभी चतुष्कोणीय वर्गाकार भूखण्ड श्रेष्ठ माने जाते हैं।
- त्रिकूट (त्रिकोण), टेढ़ी-मेढ़ी, ईशान कोण को छोडकर अन्य कोण वृद्धि वाले फैक्ट्री के लिए भूखण्ड व वाणिज्य केन्द्र या व्यापारिक प्रतिष्ठान अशुभ होते हैं। ऐसी स्थिति में मानसिक अशांति व धन की हानि होती है।
- फैक्ट्री के मुख्य द्वार में पर देहली (अवरोध) नही होना चाहिए तथा प्रवेश द्वार की ओर ढलान एवं झुकाव होने पर अशुभ होता है। इससे फैक्ट्री में लाभ अस्थिर रहता है।
फैक्ट्री के भूखण्ड के कोण
- यदि फैक्ट्री प्लॉट के सभी कोण 90 अंश हो तो ऐसे भूखण्ड में वास्तु फैक्ट्री निर्माण की सलाह देता है।
- दक्षिण पश्चिम (नैऋति) कोण अनिवार्यतः 90 अंश होना चाहिए । यह बहुत ही आवश्यक है।
- फैक्ट्री भूखण्ड का वायव्य कोण 90 अंश या फिर उससे अधिक होना चाहिए। यदि 90 अंश से कम है तो अच्छे परिणाम नही मिलेंगे।
- आग्नेय कोण भी 90 अंश के लगभग या फिर इससे अधिक होना चाहिए । यह भी 90 अंश से कम नही होना चाहिेए।
- ईशान कोण 90 अंश से लगभग या फिर इससे भी कम होना चाहिए। किंतु किसी भी स्थिति में 90 अंश से अधिक नही होना चाहिए।
वास्तु विद् - रविद्र दाधीच (को-फाउंडर वास्तुआर्ट)